प्रिय साथियों
चौरसिया कल्याण समिति अयोध्या समाज के आर्थिक रूप से कमजोर एवं मेधावी इकतालीस छात्र छात्राओं को पांच सौ मासिक छात्रवृत्ति प्रदान कर रही है।जिनका नाम, निवास एवं मोबाइल नंबर समय समय पर इस समूह में डाला जाता है।अब आपको सोचना है कि जब समाज के बच्चे आर्थिक तंगी का सामना करते हुए कठिन पढ़ाई कर रहे होते हैं तब हमें उनकी सहायता करनी चाहिए या जब यही बच्चे संघर्ष कर सरकार के किसी विभाग में चयनित हो जाते हैं तो उन्हे रिस्तेदार बताकर,प्रसंशा कर, गिफ्ट देकर अपना काम निकालना चाहिए। आपको सोचना होगा कि सही समाजसेवी कौन है जो संघर्ष के दिनों में बच्चों का साथी बन कर सहयोग कर रहा है या जब बच्चे सफल होकर अच्छे पद पर पहुंचे तब उनसे अपना काम निकाल रहा है।संघर्ष के दिनों मे साथ देने वाले बहुत कम होते हैं।परंतु यदि आप स्वयं से ही मेहनत करके कहीं उच्च पद पर पहुंच जाते हैं तो आपके साथ फोटो खिंचवाने वाले आपकी प्रसंशाकर गिफ्ट देकर काम निकालनेवाले बहुत समाजसेवी मिल जाते हैं।दोस्तों हमें सोचना है कि जब बच्चों को पढ़ते समय आर्थिक तंगी है यदि हम उस समय उनका सहयोग कर देंगे तो सफल होने पर निश्चित रूप से समाज के बारे में सोचेंगे।समिति के इक्यावन सदस्य गरीब बच्चों के संघर्ष के साथी एवं सहयोगी बनकर मिलकर उन्हें पांच सौ रुपए मासिक सहयोग दे रहे हैं।अब आपको तय करना है कि संघर्ष के दिनों में इनको सहयोग देनेवाले सच्चे समाजसेवी हैं या उच्च पद पाने के बाद इनसे काम निकालने वाले ।यह निर्णय मै आप पर छोड़ता हूं।
आपका रामसूरत चौरसिया
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बहुत सही आपने लिखी है । देश में विवाह करवाने के लिए ही अभी संस्थाएं हैं,शिक्षा के लिए नहीं