HOCKEY PLAYER
मंजू चौरसिया ‘चक दे इंडिया’ फिल्म देख उठायी हॉकी स्टिक
यह कहानी किसी फिल्म की नहीं, बल्कि 13 साल की एक लड़की की है, जो खूब मेहनत कर सबजूनियर नेशनल हॉकी की खिलाड़ी बनी है। स्थिति यह थी कि इस खिलाड़ी के परिवार के पास हॉकी की किट खरीदने तक के रुपये नहीं थे, परंतु लड़की ने हौसला कायम रखा और एक कोच की मदद से उसकी प्रतिभा निखरकर सामने आई है। सोनीपत की रहने वाली मंजू चौरसिया आज सबजूनियर नेशनल हॉकी में सबसे तेज खिलाड़ी मानी जाती है। मंजू की टीम को स्टेट में गोल्ड, स्कूल नेशनल सबजूनियर नेशनल 2014 में चौथा स्थान मिला। अपने मां-पिता को रात-दिन मजदूरी करता देख मंजू को बहुत बुरा लगता है। ‘मैं हमेशा अपनी मां को देख रोती हूं। वह भी कभी-कभी मुझे गले लगाकर काफी रोती है। अब बस यही सपना है कि मैं इंडियन टीम में शामिल होकर देश को सोना दिलाऊं। साथ ही माता-पिता के आंसू पोंछ सकूं।’ मंजू चौरसिया ने हाल ही में यहां हुई सबजूनियर नेशनल चैंपियनशिप में आंध्र प्रदेश की टीम पर एक साथ 3 गोल दागकर सभी का ध्यान अपनी और खींचा। टीकाराम स्कूल, सोनीपत की 10वीं कक्षा की इस होनहार बेटी ने यह कारनामा तब अंजाम दिया, जब वह बुखार से तप रही थी। हैट्रिक मारकर उसने वह कर दिखाया जो हर हॉकी खिलाड़ी का सपना होता है। मंजू का कहना है कि उसके पास भले ही हॉकी की महंगी किट खरीदने के पैसे न थे, लेकिन एक जिद है कि सीनियर नेशनल टीम में खेलने का सपना वह हर हाल में पूरा करेगी। चाहे इसके लिए कितनी ही मेहनत क्यों न करनी पड़े, कितना ही पसीना क्यों न बहाना पड़े। मंजू का कहना है कि 15 सितंबर, 2010 को टीवी पर चक दे इंडिया फिल्म देखते-देखते मन में हॉकी स्टिक थामने का ख्याल आया, जो धीरे-धीरे सपना बन गया। जुनून इस कदर था कि वह सोते हुए भी अचानक बड़बड़ाने लगती, लेकिन मजदूर परिवार की बेटी के लिए तो सपना देखना भी आसान नहीं होता। अपनी मां को दूसरों के घरों में बर्तन साफ करते और पिता को फैक्टरी में टायर बनाते देखती तो अपनी इच्छाओं को वहीं दबा हुआ महसूस करती। ‘मेरी मां को जब मेरी हॉकी की इच्छा का पता चला तो जिन घरों में वह काम करती, हर घर में हॉकी के बारे में पूछती। ऐसे में एक दिन कोच प्रीतम सिवाच का नाम सुनने को मिला। प्रीतम मैडम से जाकर मिली तो उन्होंने मुझे हॉकी सिखाने की हामी भरी। अब बात हॉकी किट की अड़ गई। कोच मैडम ने ही मेरी मदद की और 2014 में मुझे सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप के लिए रांची जाने का मौका मिला।