BARAI MANDIr
भागलपुर जिला अन्तर्गत कहलगांव के निकट गंगा किनारे है यह गांव ओरियप . बटेश्वर स्थान एवं ऐतिहासिक स्थल…… विश्व विद्यालय यहीं पर स्थित है .
यहां छिपा है बरई समाज का अतीत .
शोध करने वाले के लिए यह स्थल महत्वपूर्ण है . यहीं के एक बुज़ुर्ग केशो मंडल ने बताया…
हमारा पूर्वज पहले तिब्बत में रहते थे . वहाँ जब मुसलमानो का वर्चस्व बढ़ा और वे लोग धर्मांतरण के लिए दवाब बनाने लग़े तब हमलोगों के पूर्वज वहाँ से पलायन कर भाग आए और यहां आकर बस गए . लगभग बाइस बस्ती में हमलोग बसे हैं .
वहाँ से जब हमलोग आए तब हमारी कुलदेवी की छोटी छोटी मूर्तियों को तो ले आए लेकिन बड़ी मूर्ति को किसी जलाशय में डूबो दिए . वर्षों बाद वह मूर्ति गंगा में किसी मछुवारे के जाल में मिली . फिर देवी ने उस मछुवारे को स्वप्न में आदेश दी कि उसे बरई के घर पहुंचा दे . ईधर बरई लोगों को भी स्वप्न आदेश हुआ कि माँ की मूर्ति मछुआरे के घर से ले आए . ऐसा ही हुआ .
इस देवी का नाम माँ सुंगल है .
मूर्ति को टंडवा पीरपैंती में स्थापित किया गया .
पुनः संथाल विद्रोह के समय मूर्ति को टंडवा से ओरियप स्थान्तरित किया गया . तब से मां यहीं है .
इस मंदिर में ब्राह्मण सहित कोई भी अन्य जाति के लोग प्रवेश नहीं कर सकते हैं . पूजा , भजन , आदि सिर्फ़ बरई ही कर सकते हैं . मंदिर के पास चालीस एकड़ जमीन है जो सरकारी रेकर्ड में देवोत्तर के नाम से दर्ज़ है . इस जमीन में पान के बरेज़ , व बांस लगे हैं .
माँ सुंगल के बांह पर पान के निशान है . मां कुंआरी है . इसलिए यहां सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है . लाल फूल , लाल कपड़ा आदि वर्जित है . हनुमान जी की मूर्ति भी स्वेत है .
यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है .
यहीं पर गंगा पुल प्रस्तावित है तथा रेलवे का जंक्शन भी प्रस्तावित है.।यहीं पर विक्रशिला विश्व विद्यालय का ख़ुदाई स्थल है व संग्राहलय है ।
बगल में भवानीपुर , लालापुर , परसुरामचक आदि गांव है जहाँ कि आबादी प्रत्येक गांव में अस्सी नबब्बे बड़ई घर है।यहाँ इस मंदिर के आसपास 100 बरई समाज का घर है और पुरा समाज केयर टेकर है। । द्वारा-श्री बालमुकुंद मोदी,देवघर