BARAI CHAURASIA KULDEVTA TEMPLE
[15:32, 11/10/2021] BalmukundChau: तैंतीस कोटि देवताओं में से एक देवता बरई जाति के घर जन्म लेकर चौरसिया जाति के नायक बने जिसे हम गरभू बाबा के नाम से जानते हैं .
जब गरभू 16 वर्ष के थे तभी उन्होंने अपने समाज की अगुवाई की . हुआ ऐसा कि गरभू के पिता गंगा जल लेकर बैद्यनाथ धाम की यात्रा पर थे . इसी बीच भयंकर आंधी तूफान आई और सभी के पान के बरेज़ उजड़ गए .
दूसरे दिन समाज के सभी लोग उनके घर आए और जंगल जाने के लिए कहने लगे कारण कि गरभू के पिता ही समाज के नायक थे . परन्तु घर पर न तो पिता थे और न ही बड़ा भाई . अतः गरभू को ही नेतृत्व संभालना पड़ा और वे बांस काटने के लिए सबों के साथ जंगल गए . सभी लोग बांस काटने लग़े . गरभू भी बांस काटने लगे तभी वहाँ बाघ आ गया .
बाघ और गरभू में युद्ध शुरू हुआ और बाघ मारा गया . तब बाघिन भी बदला लेने के लिए मैदान में आ धमकी . गरभू ने कहा मैं स्त्री से नहीं लड़ूंगा . तब मेरा बदला पुरा कैसे होगा ?
इसके लिए मैं अपना शरीर त्याग दूंगा और वैसा ही उन्होंने किया .
गरभू बाबा की आत्मा शिव लोक गई . तब भगवान शिव ने वरदान मांगने के लिए कहा …
गरभू बाबा ने लोक कल्याण की कामना की . शिव आदेश से वे पुनः भू लोक पर आ गए…. सूक्ष्म रूप में और लोक कल्याण में लग़े हैं . हम गरभू बाबा से मंगल कामना करते हैं , वे अवश्य पुरा करते हैं .
झारखण्ड के देवघर के निकट आमगाछी गांव में गरभू बाबा का मंदिर है . इस मंदिर को भव्य रूप देने के लिए चौरसिया समाज के सभी सुधी जनों को आगे आना चाहिए ..- साभार- बालमुकुंद मोदी,देवघर,झारखंड M-7250784317